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डाउनलोड हनुमान चालीसा पीडीऍफ़ फाइल | Hanuman Chalisa PDF Download

हनुमान जी, भगवान्  श्री राम जी के महान भक्त थे।  भगवान् श्री राम जी के बाद यदि किसी का नाम  स्मरण किया जाता है तो  वो हैं हिन्दुओ के सबसे बड़े और ताकतवर भगवान  हनुमान जी। अगर आपको भी भगवान् श्री हनुमान जी की कृपा  चाहिए तो  हर मंगलवार को आपको  hanuman chalisa pdf पड़ना चाहिए। 

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हनुमान जी की बहादुरी और सौर्य की कहानी तो हर किसी ने सुनी होगी।  इनके किस्से महाभारत और रामायण में भी सुने हैं।  रामायण काल में   जन्मे हनुमान जी सेंकडो साल बाद महाभारत काल में भी जिन्दा थे। हनुमान जी  इतने ताकतवर हैं की उन्हें लोग हर मुसीबत में याद करते हैं।  हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है।  अगर कोई व्यक्ति उनको सच्चे मन से याद करता है और सच्चे मन से उनकी हनुमान चालीसा जो की  hanuman chalisa pdf में दी गई है, का जाप करता है तो वो उसकी मुसीबत के समय में सहायता अवश्य करते हैं। आज हमने अपने लेख में हनुमान जी के भक्तो के लिए hanuman chalisa pdf, संकटमोचन हनुमानष्टक pdf और हनुमान जी की आरती pdf में सेव की है कोई भी भक्त निचे दिए गए लिंक से hanuman chalisa pdf को डाउनलोड कर सकता है और भगवन श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकता है।

hanuman chalisa pdf

hanuman chalisa pdf  को  डाउनलोड करने से पहले आप हनुमान चालीसा को स्क्रीन से ही पढ़ सकते हैं।

|| श्री हनुमान चालीसा ||

|| दोहा ||

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि  |

बरनऊँ रघुबर बिमल जासु जो दायकु फल चारि ||

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौ पवनकुमार |

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार |

|| चौपाई ||

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस लोक उजागर ||

राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ||

महाबीर बिक्रम बजरंगी | कुमति निवार सुमति के संगी ||

कंचन बरन बिराज सुबेसा  | कानन कुंडल कुंचित केसा ||

हाथ बज्र ध्वजा बिराजै | काँधे मूँज जनेऊ साजै ||

संकर सुवन केसरीनंदन | तेज प्रताप महा जग बंदन ||

बिद्यावान गुनी अति चातुर | राम काज करिबे को आतुर |

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया | राम लखन सीता मन बसिया ||

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा | बिकट रूप धरि लंक जरावा ||

भीम रूप धरि असुर सँहारे | रामचंद्र के काज सँवारे ||

लाय सजीवन लखन जियाये | श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ||

रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई | तुन मम प्रिय भरतहि सम भाई ||

सहस बदन तुम्हरो जस गावै | अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ||

सनकादि ब्रम्हादि मुनीसा | नारद सारद सहित अहीसा ||

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते | कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ||

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा | राम मिलाय राज पद दीन्हा ||

तुम्हारो मंत्र विभीषन माना | लंकेस्वर भए सब जग जाना | |

जुग सहस्र जोजन पर भानू | लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं | जलधि लाँघि गये अचरज नाहिं ||

दुर्गम काज जगत के जेते | सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||

राम दुआरे तुम रखवारे | होत आज्ञा बिनु पैसारे ||

सब सुख लहै तुम्हारी सरना | तुम रच्छक काहू को डरना ||

आपन तेज सम्हारो आपै | तीनो लोक हाँक ते काँपै ||

भूत पिसाच निकट नहीं आवै | महाबीर जब नाम सुनावै ||

नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||

संकट तें हनुमान छुड़ावै | सोई अमित जीवन फल पावै ||

चारों जग प्रताप तुम्हारा | है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||

साधु संत के तुम रखवारे | असुर निकंदन राम दुलारे ||

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता | अस बर दीन जानकी माता ||

राम रसायन तुम्हरे पासा | सदा रहो  रघुपति  दासा ||

तुम्हरे भजन राम को पावै | जनम जनम के दुख बिसरावै ||

अंत काल रघुबर पुर जाई | जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ||

और देवता चित्त धरई | हनुमत सेई सर्ब सुख करई ||

संकट कटै मिटै सब पीरा | जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||

जै  जै जै हनुमान गोसांई | कृपा करहु गुरु देव की नांई ||

जो सत बार पाठ कर कोई | छूटहि बंदि महा सुख होई ||

जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा | होय सिद्धि सखी गौरीसा ||

तुलसीदास सदा हरि चेरा | कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||

पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||

संकटमोचन हनुमानष्टक

बाल समय रबि भक्षि लियो तब ,

तीनहुँ  लोक   भयो  अँधियारो |

ताहि सों  त्रास  भयो  जग को ,

यह संकट काहु सो जात न टारो  |

देवन   आनि  करी  बिनती  तब ,

छाँड़ि  दियो  रबि  कष्ट  निवारो |

को  नहिं  जानत  है  जगमें  कपि ,

संकटमोचन नाम तिहारो ||  को0 २

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,

जात  महाप्रभु  पंथ   निहारो |

चौंकि महा मुनि साप दियो तब ,

चाहिय  कौन  बिचार  बिचारो |

कै  द्धिज  रूप लिवाय  महाप्रभु ,

सो तुम दास के सोक निवारो ||  को0 २

अंगद  के  सँग लेन  गये सिय ,

खोज  कपीस  यह बैन  उचारो |

जीवत  ना  बचिहौ  हम सो जु,

बिना सुधि लाए इहाँ  पगु धारो |

हेरि  थके  तट सिंधु  सबै तब लाय ,

सिया – सुधि प्रान उबारो ||  को0 २

रावन  त्रास  दई  सिय  को  सब ,

राक्षसि  सों  कहि  सोक  निवारो |

ताहि  समय  हनुमान  महाप्रभु ,

जाय  महा  रजनीचर   मारो |

चाहत सिय असोक सों आगि सु ,

दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो || को0 २

बान लग्यो उर लछिमन के तब ,

प्रान  तजे  सुत  रावण  मारो |

लै  गृह  बैद्य  सुषेन   समेत ,

तबै  गिरि  द्रोन  सु बीर उपरो |

आनि  सजीवन  हाथ दई  तब ,

लछिमन के तुम प्रान उबारो || को0 २

रावन  जुद्ध  अजान  कियो  तब ,

नाग  कि  फाँस सबै सिर डारो |

श्रीरघुनाथ  समेत  सबै   दल ,

मोह  भयो  यह संकट  भारो |

आनी  खगेस  तबै  हनुमान जु,

बन्धन काटि सुत्रास निवारो || को0 २

बंधु  समेत   जबै   अहिरावन ,

लै  रघुनाथ  पताल   सिधारो |

देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि ,

देउ  सबै  मिलि   मंत्र बिचारो ||

जाय  सहाय  भयो  तब   ही ,

अहिरावन सैन्य समेत सँहारो || को0 २

काज  किये  बड़ देवन के तुम ,

बीर  महाप्रभु  देखि   बिचारो |

कौन सो संकट मोर गरीब को ,

जो  तुमसों  नहिं जात है टारो |

बेगि  हरौ  हनुमान   महाप्रभु ,

जो कछु संकट होय हमरो || को0 २

|| दोहा ||

लाल देह लाली लसे ,

अरू धरि लाल लँगूर |

बज्र देह दानव दलन ,

जय जय जय कपि सूर |

आरती बजरंग बलि की

आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्टदलन रघुनाथ कला की ||

जाके बल से गिरिवर काँपे | रोग-दोष जेक निकट न झाँपे ||

अंजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सहाई ||

दे बीरा रघुनाथ पठाये | लंका जारि सिय सुधि लाये ||

लंका सो कोट समुद्र सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई ||

लंका जारि असुर संहारे | सियारामजी के काज सवाँरे ||

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे | आनि सजीवन प्रान उबरे ||

पैठि पाताल तोरि जम -कारे | अहिरावन की भुजा उखारे ||

बायें भुजा असुर दल मारे | दहिने भुजा संतजन तारे ||

सुर नर मुनि आरती उतारे | जै  जै  जै  हनुमान उचारे ||

कंचन थार कपूर लौ छाई | आरती करत अंजना माई ||

जो हनुमान जी की आरती गावै | बसि बैकुंठ परमपद पावै ||

लंक विध्वंस किये रघुराई | तुलसीदास प्रभु कीरति गाई ||

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Hanuman chalisa pdf file -> हनुमानचालीसा पीडीऍफ़ फाइल

संकटमोचन हनुमानष्टक -> PDF File

आरती बजरंग बलि की PDF File -> Download

दुसरे फाइल भी डाउनलोड कर सकते हैं

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