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12वीं फैल मूवी से मिलती है अनेक शिक्षाएं

ऐसी मूवी कभी कभी रिलीज होती हैं जो आने वाली पीढ़ियों को मेहनत का रास्ता दिखाती है । 12th फैल मूवी भी ऐसी फिल्मों में से एक है जो भावी पीढ़ियों को मेहनत का रास्ता दिखाती है और ऐसे बच्चो को भी मार्ग दर्शन कराती है जो पडाई लिखाई में कमजोर रहे हैं। और जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और वो competition की तैयारी के लिए खर्च का बोझ नहीं उठा सकते ।

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सबसे बड़ी बात तो यह है की यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है न की कोरी कल्पना पर। यह फिल्म उस व्यक्ति की मेहनत को दर्शाती है जो जीवन की सभी प्रिस्थितिया विपरीत होते हुए भी एक ऐसे ओहदे पर पहुंच गया जहां पहुंचना लगभग सभी बच्चो का सपना होता है । जिस पद पर हर माता पिता का सपना होता है और वो अपने बच्चे को उस पद पर देखना चाहते हैं ।

12th fail मनोज शर्मा की हकीकत की लड़ाई

इस फिल्म में एक ऐसे व्यक्ति का जीवन दर्शाया गया है जिसका परिवार अति गरीब परिवार होता है और जिनके पास 2 वक्त की रोटी का भी जुगाड नहीं होता । ऐसा परिवार जो ईमानदारी की बिनाह पर अपना जीवन यापन करता है और उसी परिवार में पला पढ़ा मनोज शर्मा एक दिन एक IPS officer बनता है ।

12th fail movie

Source -theweek.in

दोस्तो आजकल ऐसी मूवी तो बननी ही बंद हो गई है जो आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन करती हो, जो बच्चो को कुछ बनने के लिए उत्साहित करती हों । ये मूवी एक ऐसी मूवी है जिसमे कई पहलुओं को दर्शाया गया है और ऐसे बच्चो के लिए हौसला अफजाई करती है जो ये सोचकर कर डर जाते हैं की उनके पास competition लड़ने के लिए उचित संसाधन नहीं होते । इस फिल्म में ईमानदारी को भी पूरी ताकत के साथ दिखाया गया है और ये भी दिखाया गया है की कैसे एक मोटिवेशन से किसी बच्चे को बदला जा सकता है ।

12th fail फिल्म की असली कहानी

जिन लोगो ने इस फिल्म को देख लिया है वो तो पूरी कहानी ही जान चुके होंगे और समझ चुके होंगे की सच्चाई में कितनी ताकत होती है । जिन लोगो ने इस फिल्म को अभी तक नही देखा उनके लिए इस फिल्म का निचोड़ कुछ सब्दो में लिख रहा हूं ।

इस फिल्म का रियल हीरो मनोज शर्मा जिसके जीवन पर यह फिल्म बनाई गई है, वो एक ऐसे गरीब परिवार में जन्म लेता है जो अति गरीबी की श्रेणी में आता है। ये परिवार चंबल के क्षेत्र में होता है जहां किसी तरह का कोई संसाधन नहीं होता। मनोज का पिता एक ईमानदारी कर्मचारी होता है जो ईमानदारी के कारण बेरोजगार हो जाता है । मनोज जिस स्कूल में पड़ता था इस स्कूल में पढ़ाई की बजाय नकल प्रथा से बच्चो को अगली क्लास में भेज दिया जाता है ।

हालातो ने मनोज को एक ऐसी सख्सियत से मिलाया जिसके एक बोल ने मनोज को उसके जीवन का उद्देश्य ही बदल दिया । इस पुलिस वाले ने मनोज को बोला था की अगर वो मेहनत और ईमानदारी से पढ़े तो वो भी एक दिन डीएसपी बन जायेगा । बस यही शब्द मनोज के लिए रामबाण साबित हुआ और वो नकल को छोड़कर सिर्फ ईमानदारी से पढ़ने लगा। जीवन में अनेक बार फ़ैल होने के बाद भी मनोज ने अपना सपना नहीं छोड़ा । उच्च शिक्षा के लिए शहर गया लेकिन पैसे और सामान चोरी होने के बाद दो दिन तक भूखे भी रहना पड़ा ।

फिर पता चला कि डीएसपी से भी ऊपर कोई पोस्ट होती है, तो उसने अपने जीवन के बुरे दिनों में भी अपने सपने को छोड़ा नहीं बल्कि अपने सपने को और अधिक बड़ा कर लिया । अब उसका सपना डीएसपी ही नही बल्कि आईपीएस बन चुका था। अपने सपने को प्राप्त करने के लिए लाइब्रेरी में न केवल साफ सफाई का ही काम किया बल्कि टॉयलेट साफ करने का भी काम किया। मनोज 24 घंटो में से 12 घंटे जीवन यापन के लिए काम करता था 8 घंटे कंपटीशन की तैयारी करता था और मात्र 4 घंटे सोता था । जीवन में केवल ये ही कष्ट नहीं थे बल्कि तीन बार UPSC में  fail भी हुआ और मजदूरी करके जीवन यापन भी करना पड़ा। 

लेकिन उसने न सपने को छोड़ा और न ही जीवन की मुसीबतो से हार मानी।  अंत में मनोज शर्मा को आखिरी अटेम्प्ट में सफलता भी मिली और अपना आईपीएस का सपना भी पूरा कर पाए।  वो एक जनून था जिसने मनोज शर्मा को एक आईपीएस बना दिया।  वो कई बार पढ़ाई में फ़ैल भी हुए और थर्ड डिवीजन से पास भी हुए।  लेकिन उनके सपने के सामने और उनके जनून के सामने ये सभी दुविधाएं गौण हो गई और वो अपना सपना पूरा कर पाए। 

इस मूवी ने युवाओ को मार्गदर्शन करने का काम किया और जोश को भी बढ़ाया है।  हम भारतवासी यही आशा करते हैं की फ़िल्मी जगत ऐसी मोटिवेशनल मूवी बनाये और युवाओ को आगे बढ़ने की प्रेरणा दें। 

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