दोस्तों आज के इस लेख में हम New Education Policy 2020 के बारे में बात करेंगे , शिक्षा निति में यह बदलाव क्या है और इस बदलाव के क्या फायदे और नुकशान होने वाले हैं इसके बारे में बात करेंगे।
दोस्तों शिक्षा निति 2020 में यह बदलाव एक लम्बे समय के बाद किया जा रहा है। भारत में इससे पहले शिक्षा निति में 1992 में , 1986 में और 1968 में शिक्षा निति में बदलाव किया गया था।

दोस्तों New Education Policy 2020 तैयार हो चुकी है और अगर कोरोना की समस्या लम्बी नहीं चली तो यह शिक्षा निति 2022 तक लागू हो सकती है।
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New Education Policy 2020 – नई शिक्षा निति बनाने से पहले ग्राउंड वर्किंग
दोस्तों नई शिक्षा निति 2020 बनाने से पहले सरकार ने बहुत ग्राउंड वर्किंग की है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष श्री कस्तूरी रंजन की अध्यक्षता में इस शिक्षा निति को तैयार किया गया और इसे तैयार करने के लिए देश के छोटे बड़े गांव , कस्बो और शहरों को ध्यान में रखकर इस निति को बनाया गया है।

देश के हर जिले और पंचायत लेवल पर इस निति को बनाने के लिए सलाह मसवरा लिया गया। शिक्षा निति को बनाने के लिए अब तक की देश की यह सबसे बड़ी कमेटी है जिसमे सबसे ज्यादा सुझावों को माना गया है।
नई शिक्षा निति में क्यों बदला गया मंत्रालय का नाम
दोस्तों नई शिक्षा निति 2020 के तहत MHRD (Ministry or Human Resource Development ) का नाम पूरी तरह से बदल दिया गया है और अब इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय रख दिया गया है। जबकि शिक्षा मंत्रालय पहले MHRD के निचे आता था। अब इस मंत्रालय का नाम Ministry of Education हो गया है।
New Education Policy 2020 में 5 +3 +3 +4 क्या है ?
दोस्तों नई शिक्षा निति में अब 10+2 को खत्म करके 5 +3 +3 +4 कर दिया गया है। नई निति में केवल 10+2 तक ही बदलाव नहीं है बल्कि स्नातक (ग्रेजुएशन) और स्नातोकत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन )में भी बदलाव किये गए हैं।
पुरानी शिक्षा निति के 10+2 में किया गया बदलाव
दोस्तों पुरानी शिक्षा निति में 10+2 का मतलब 12 साल आप स्टेट या सेंटर के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते थे। 10+2 के बाद ही आप किसी राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी में या कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन ले सकते थे। पहले राज्य शिक्षा बोर्ड के तहत 12 वर्ष की पढ़ाई करनी पड़ती थी लेकिन अब 5 +3 +3 +4 यही 15 साल यह पढ़ाई करनी पड़ेगी।
स्टेट बोर्ड के तहत यह समय 12 साल से 15 साल होने का मुख्य कारण , पहले बच्चे को 6 साल का होने के बाद स्कूल में दाखिला दिया जाता था लेकिन अब बच्चे को 3 साल का होते ही स्कूल में भेज दिया जायेगा।
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6 साल की बजाय 3 साल एडमिशन करने के बदलाव का कारण
दोस्तों जैसे की पहले भी बताया गया है की नई शिक्षा निति बनाने से पहले इसके हर पहलु पर सुझाव लिया गया है और एक एक छोटे से छोटे सुझाव को भी इस कमेटी ने शामिल किया है। नई शिक्षा निति कमेटी ने इस विषय पर भी स्टडी किया की छोटे बच्चे स्कूल में आने से क्यों कतराते हैं।

माता पिता जब बच्चे का एडमिशन स्कूल में करवा देते हैं तो बच्चा अनचाहे मन से या फिर जबरदस्ती ही स्कूल में छोड़ना पड़ता है। शिक्षा के प्रति बच्चो के डर को दूर करने के लिए शिक्षा निति में विशेष प्रबंध किया गया है। अब बच्चे स्कूल में जबरदस्ती ही नहीं बल्कि अपने आप स्कूल में जाना पसंद किया करेंगे।
क्या होगी पहले 3 साल में छोटे बच्चो की शिक्षा।
दोस्तों New Education Policy 2020 में जैसे की अब बच्चो की एडमिशन की उम्र 6 साल है उसे 3 साल कर दी गई है लेकिन इतनी छोटी उम्र में बच्चो पर कोई भी शिक्षा का बोझ नहीं लादा जायेगा। बच्चो को पहले 3 साल केवल स्कूल में आने की आदद को ही डाला जायेगा। बच्चे स्कूल में केवल पड़ने ही नहीं बल्कि खेलने कूदने , खाने पिने , झूला झूलने , मिटटी में खेलने या फिर हर तरह की मस्ती करने आएंगे।

इससे यह फायदा होगा की बच्चे अपनी इच्छा से ही स्कूल आएंगे और उन पर किसी तरह का शिक्षा का बोझ नहीं होगा। इस प्रकार बच्चो को स्कूल आने की आदद भी पड़ जाएगी। पहले 3 साल के बच्चो के अध्यपकों को भी इस तरह से ट्रेनिंग दी जाएगी की वो बिलकुल उसी तरह से बच्चो को मौज मस्ती करवाएंगे जिस तरह से बच्चो के माता पिता घर बच्चो को मौज मस्ती में लर्निंग देते रहते हैं।
अब छोटे बच्चे स्कूल में बिलकुल उसी तरह दुसरे बच्चो के साथ खेले और कूदेंगे जिस तरह से मोहले या गली के बच्चो के साथ खेलते और कूदते हैं। अब देश के हर स्कूल में एक ही तर्ज पर बच्चो के खेलने कूदने का सामान दिया जायेगा और झूले वगेहरा लगाए जायेंगे।
शिक्षा को 5 साल, 3 साल, 3 साल, और फिर 4 साल में बांटा गया है।
पहले 5 साल को फाउंडेशन स्टेज कहा जायेगा।
नई शिक्षा निति में फाउंडेशन स्टेज [New Education Foundation Stage]
दोस्तों नई शिक्षा निति में फाउंडेशन स्टेज में बच्चो को 3 साल में ही स्कूल में एडमिशन दिया जायेगा। यह फाउंडेशन स्टेज 5 साल की होगी यानी शुरू के 5 साल स्कूल में जाने के बाद ही बच्चा फाउंडेशन स्टेज को क्लियर कर पायेगा। इस फाउंडेशन स्टेज में पहले 3 साल बच्चा प्ले स्कूल में जायेगा जहाँ पर केवल खेलना कूदना होगा और बच्चे पर कोई पढ़ाई का दबाव नहीं होगा।

पहले 3 साल खत्म होने के बाद पहली कक्षा में दाखिला दिया जायेगा। यानी पहली कक्षा में दाखिले के वक्त बच्चे की उम्र 6 वर्ष की होगी। उसके बाद दूसरी कक्षा में एडमिशन किया जायेगा। पहले पांच साल तक बच्चे से कोई एग्जाम नहीं लिया जायेगा , उसे ऐसे ही अगली कक्षा में दाखिला दिया जायेगा। पहले पांच साल तक की पढ़ाई के लिए अध्यपकों को यह ट्रेनिंग दी जाएगी की बच्चो को खेल ही खेल में कैसे शिक्षा दी जाती है और वो बच्चो पर कोई पड़ने का दबाव भी नहीं डालेंगे।
नई शिक्षा निति में प्रिपरेटरी स्टेज [New Education Prepratory Stage]
दोस्तों नई शिक्षा निति में जैसे ही बच्चा पहले 5 साल की स्कूलिंग पूरी करेगा तो वह फाउंडेशन स्टेज से प्रिपरेटरी स्टेज में दाखिल हो जायेगा। यह स्टेज क्लास 3 से क्लास 5 तक होगी। इस स्टेज में एक्टिविटी के साथ साथ बच्चे को पढ़ाई की तरफ भी ध्यान दिलाया जायेगा।

प्रिपरेटरी स्टेज यानी कक्षा 3 से कक्षा 5 तक बच्चे को क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। बच्चा जिस भी स्टेट में होगा और उस स्टेट की जो भी भाषा होगी , उसी भाषा में बच्चे को पढ़ाया जायेगा। लेकिन अगर कोई स्कूल अंग्रेजी में पढ़ाना चाहेगा तो अंग्रेजी में भी पढ़ा सकता है।
नई शिक्षा निति मिडिल स्टेज [New Education Middle Stage ]
दोस्तों इस शिक्षा निति में बच्चा फाउंडेशन स्टेज के बाद प्रिपरेटरी स्टेज को पास करके मिडिल स्टेज में दाखिल हो जायेगा। मिडिल स्टेज 3 साल की होगी जिसमे कक्षा 6 से कक्षा 8 तक शामिल होंगी। मिडिल स्टेज की शिक्षा में पुरानी शिक्षा में काफी बदलाव किया गया है। इस स्टेज में बच्चे को कंप्यूटर ज्ञान दिया जायेगा , कंप्यूटर में शुरूआती कोडिंग शिखाया जायेगा।

इस स्टेज में वोकेशनल कोर्स की भी पढ़ाई करवाई जाएगी। वोकेशनल कोर्स एक तरह के दस्तकारी कोर्स यानी टेक्निकल कोर्स होता है। वोकेशनल कोर्स में उदहारण के तौर पर शिलाई का कोर्स , कारपेंटर का कोर्स , माली का कोर्स , कुकिंग कोर्स , पेंटिंग के कोर्स इत्यादि। इस स्टेज में मैथ, साइंस और आर्ट के विषयो के साथ साथ भारत की किसी भाषा को पढ़ना पड़ेगा, जैसे की पंजाबी , संस्कृत , उर्दू इत्यादि।
अगर बच्चा बंगाल का है तो उसे बंगाली में पढ़ाया जायेगा और अगर बच्चा महाराष्ट्र का है तो उसे महाराष्ट्री में पढ़ाया जायेगा। क्षेत्रीय भाषा के साथ साथ यह स्कूल का स्वायत फैसला होगा की वह किस भाषा में बच्चो को पढ़ा रहा है अगर स्कूल इंग्लिश मध्यम या हिंदी मध्यम में पढ़ाना चाहेगा तो वह पढ़ा सकता है। कक्षा 3 से बच्चो के एग्जाम शुरू हो जाएंगे और उन्हें पास होने के लिए एग्जाम देना जरूरी हो जायेगा।
नई शिक्षा निति सेकेंडरी स्टेज [New Education Secondary Stage]
दोस्तों जैसे की अभी तक फाउंडेशन स्टेज , प्रिपरेटरी स्टेज और मिडिल स्टेज के बारे में जान चुके हैं। मिडिल स्टेज कक्षा 6 से 8 तक होती है और उसके बाद कक्षा 9 से कक्षा 12 तक सेकेंडरी स्टेज होती है। यानी सेकेंडरी स्टेज 4 साल की होगी। सेकेंडरी स्टेज में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है की अब परीक्षा साल में एक बार नहीं बल्कि साल में दो दो बार देनी होगी। अब एग्जाम सेमेस्टर के अनुसार देने होंगे जो हर 6 महीनो में लिए जायेंगे। सेकेंडरी स्टेज में टोटल 4 क्लास को पास करने के लिए 8 एग्जाम देने होंगे।

दूसरा बड़ा बदलाव यह है की जैसे की पुरानी शिक्षा निति में 10 वी के बाद 11 वीं और 12 वीं के लिए एक स्ट्रीम को चुनना पड़ता है जैसे की बच्चो को या तो आर्ट्स , मेडिकल , नॉन मेडिकल या कॉमर्स लेनी पड़ती थी लेकिन नई शिक्षा निति में अब स्ट्रीम सिस्टम को खत्म कर दिया है।
सेकेंडरी स्टेज में अब मल्टीप्ल सब्जेक्ट सिस्टम बना दिया गया है। अब बच्चे की दिलचस्पी जिस भी सब्जेक्ट में अधिक होगी वह उस सब्जेक्ट का ही चुनाव कर सकता है। अगर बच्चे को मैथ अच्छा लगता है तो मैथ ले सकता है और अगर साइंस अच्छी लगती है तो साइंस ले सकता है।

अब स्ट्रीम सिस्टम को कोई सीमा नहीं होगी , बच्चा मैथ के साथ साथ भूगोल भी ले सकता है , केमिस्ट्री ले सकता है। अपनी इच्छा अनुसार सब्जेक्ट ले सकता है। सेकेंडरी स्टेज में पढ़ाई का सिस्टम क्रिटिकल थिंकिंग होगा। इस स्टेज में तथ्यों को याद करने की जगह तथ्यों के दुसरे पहलूओ का विश्लेषण किया जायेगा पढ़ाई का बेस इस आधार पर होगा की अगर ऐसा होता को क्या होता और अगर ऐसे नहीं होता तो फिर क्या होता।
उदहारण के तौर पर अगर अंग्रेज भारत नहीं छोड़ते तो क्या होता और अगर अंग्रेज जल्दी भारत छोड़ देता तो फिर क्या होता। सेकेंडरी स्टेज में आप कोई भी विदेशी भाषा भी पढ़ सकते हैं अगर बच्चे की इच्छा जर्मन पढ़ने में है या फिर रसियन पड़ने की है या फिर फ़्रांसिसी पड़ने की है तो पढ सकता है। विदेशी भाषाओ में अभी तक चीनी भाषा को अपनी शिक्षा निति में शामिल नहीं किया गया है। इसका कारण भारत और चीन के बीच बढ़ता तनाव भी है।
नई शिक्षा निति में ग्रेजुएशन में बदलाव [पढ़िए पूरी जानकारी ]
दोस्तों पुरानी शिक्षा निति में ग्रेजुएशन केवल 3 साल का होता था जिसमे 1st year , IInd year और IIIrd ईयर , तीन क्लासे होती थी लेकिन अब नई शिक्षा निति में ग्रेजुएशन को 4 साल का रखा गया है।
नई शिक्षा निति में ग्रेजुएशन में सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है की अब पैटर्न सिस्टम खत्म हो गया है जिसे हम आर्ट्स को बैचलर्स और आर्ट्स , मेडिकल को बैचलर्स और साइंस और कॉमर्स को बैचलर्स और कॉमर्स कहते थे। नई शिक्षा निति में ये सभी पैटर्न्स खत्म कर दिए गए हैं। अब आप चाहे किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन करते हैं तो सिंपल ग्रेजुएशन ही कहलायेंगे।

नई शिक्षा निति में एक बहुत बड़ा सुधार किया गया है की अब हर ग्रेजुएशन की कक्षा का अपना एक सर्टिफिकेट होगा जिसकी मान्यता अलग से होगी। अब वो कमिया दूर कर दी गई हैं की अगर आपने 1st ईयर ही पास की और जब तक आप 2nd ईयर और 3rd पास नहीं करते तो 1st ईयर पास करने का कोई महत्व नहीं था। लेकिन अब ग्रेजुएशन की चारो क्लासो को एक अलग से सर्टिफिकेट की मान्यता दी गई है।
जैसे की 1st ईयर को ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट के नाम से जाना जायेगा।
2nd ईयर को ग्रेजुएशन डिप्लोमा के नाम से जाना जायेगा।
3rd ईयर को ग्रेजुएशन डिग्री के नाम से जाना जायेगा
और 4th ईयर को ग्रेजुएशन रिसर्च के नाम से जाना जायेगा।

New Education Policy 2020 में ग्रेजुएशन की कक्षाओं में एक बहुत अच्छा बदलाव यह हुआ है की अब री एंट्री आप उस कक्षा के बाद भी कर सकते हैं जो कक्षा आप ने पास कर ली है। उदाहरण के तौर पे अगर किसी बच्चे ने 1st ईयर पास करने के बाद किसी कारण से पढ़ाई छोड़ दी और वह 3 साल बाद फिर से पढ़ाई करना चाहता है तो पुरानी शिक्षा निति के अंतर्गत उसे दोबारा से 1st ईयर करना पड़ेगा और नई शिक्षा निति के अंतर्गत उसे 2nd ईयर में दाखिला मिल जायेगा।
नई शिक्षा निति में पोस्ट ग्रेजुएशन कैसे होगा [New Education Post Graduation]
दोस्तों जैसे की ऊपर आपने पढ़ा होगा की अब ग्रेजुएशन 3 साल की बजाय 4 साल की कर दी गई है। अगर किसी बच्चे ने 4 साल का ग्रेजुएशन किया है तो उसके लिए पोस्टग्रेडुएशन केवल 1 साल का ही होगा और अगर किसी छात्र ने ग्रेजुएशन 3 साल की क्या है तो पोस्ट ग्रेजुएशन 2 साल का होगा। अब ग्रेजुएशन की तरह पोस्ट ग्रेजुएशन के पैटर्न जैसे की M.A, M.Sc., M. Com ये सभी ख़त्म कर दिया जायेगा और कोई भी पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाला छात्र केवल पोस्ट ग्रेजुएट ही कहलायेगा। Ph.D. चार साल का ही होगा उसमे कोई बदलाव नहीं किया गया है।
New Education Policy 2020 के पॉजिटिव पॉइंट्स।
- नई शिक्षा निति को लागू करने के लिए GDP 6% की राशि इसे लागू करने में लगाया जायेगा।
- अभी तक हमारी शिक्षा निति में लगभग GDP का 3 % बजट ही लगाया जा रहा है जो नई शिक्षा निति में डबल हो जायेगा।
- प्राइवेट स्कूलों की फीस पर कंट्रोल किया जायेगा।
- प्राइवेट स्कूलों को केटेगरी में बाँट दिया जायेगा और केटेगरी के हिसाब से ही उनकी फीस पर कंट्रोल होगा।

- नई शिक्षा निति में बच्चो को 6th क्लास से ही रोजगार से सम्बंधित शिक्षा दी जाएगी जिसे वोकेशन शिक्षा कहा जाता है।
- कक्षा का रिजल्ट केवल अंको पर ही नहीं आधारित होगा बल्कि इसमें कई चीजे शामिल कर ली गई हैं।
- विषय अंको के साथ साथ सेल्फ अस्सेस्मेंट , क्लास मेट अस्सेस्मेंट , और टीचर अस्सेस्मेंट के अंक भी जोड़ दिए जायेंगे।
- नई शिक्षा निति से बच्चा स्वयं के निर्णय लेने में स्ट्रॉग होगा।
- अपने फ्रेंड की अस्सेस्मेंट में मार्क्स लेने के लिए दोस्तों के साथ सही से व्यवहार करेगा।
- अध्यापक अससेमेंट मार्क्स लेने के लिए स्कूल में अनुसासन में रहेगा।
- विदेशी यूनिवर्सिटी भी अब भारत में अपनी ब्रांच खोल सकती हैं जिसमे विश्व के टॉप 50 विश्वविधालयों को शामिल किया गया है।
- नई शिक्षा निति में अब चार विभाग काम करेंगे।
- पहला विभाग शिक्षा और स्लैब्स के सुधारीकरण पर लगातार काम करेगा।
- दूसरा डिपार्टमेंट अध्यापक , इंफ्रास्ट्रक्टर और बच्चो पर काम करेगा।
- तीसरा डिपार्टमेंट फाइनेंस से सम्बन्धित काम करेगा जिसमे टीचर्स की सैलरी और बच्चो की फीस और बच्चो को स्कालरशिप देने का काम करेगा।
- चौथा डिपार्टमेंट बच्चो के एग्जाम और रिजल्ट के लिए बनाया गया है।
- प्रत्येक टीचर को भी 4 साल की ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमे बच्चो को कैसे पढ़ाया जाता है यह सिखाया जायेगा।
नई शिक्षा नित नेगेटिव पॉइंट्स।
- नई शिक्षा निति में अंग्रेजी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई है जिससे विदेशो में मिलने वाली नौकरियों के कम होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
- शिक्षा का केन्द्रीयकरण कर दिया गया है। पूरी शिक्षा के बॉडी स्ट्रक्चर को एक केंद्रीय टीम निर्धारित करेगी। इस निति को राज्य सरकारों द्वारा मानना बाध्य होगा।
- अध्यापक की ड्रेस कोड पर कोई पालिसी नहीं है।
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